दीयाबाती मतलब धन-वैभव केर देवी लक्ष्मीक दिन।एहि दिन लोक सभ दीप जराबय के संगे हिनक पूजा-अर्चना करैत छैथ।गंदगी रुपी दरिद्रता के साफ कऽ लक्ष्मीक आवाहन कैल जाइत अछि।एहि परंपरका एकटा हिस्सा सूप डेँगैनाय अछि।
दीयाबातीक रातिक अंतिम पहर मेँ महिला लोकनि सूप डेँगा कऽ दरिद्रता के बाहर करैत छथि।दीयाबातीक पश्चात खेनाय खा कऽ जखन पूरा परिवार सूति जाइत अछि तखन रातिक अंतिम पहर मेँ घरक सर्वश्रेष्ठ महिला सूप डेँगैनाय शुरु करैत छथि।सूप डेँगबय लेल घरक पैघ पुरुष सांझे अपन उक्का से अधहा जड़ल संठी के आंगन मेँ आनि के राखि दैत छैथ।
एहन मान्यता अछि जे सूप डेँगाबय सऽ निकलय वला आवाज जते दूर धरि जाइत अछि ओतेक दूर से दरिद्रता दूर जाइत अछि।महिला सूप डेँगबैत घर मेँ प्रवेश करैत कहैत छथि-अन्न धन लक्ष्मी घर हो,दारिद्र बाहर जो।इ प्रक्रिया तीन बेर होइत अछि।एहि दौरान ओ अपन परिवारक लेल मानसिक,शारीरिक,आर्थिक आदि सुखक लेल कामना करैत अछि।अंत मेँ घरक बाहरि कूड़ाक ढेर पर सूप आ संठी के फेकि दैत छथि।एहि परंपराक माध्यमेँ पूरा समाजक कल्याण आ भावनाबोधक संदेश भेटैत अछि।
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