Saturday, January 26, 2013

गणतंत्र दिवसक परेडमे बिहार(मिथिला) क झांकी मन मोहलक

नई दिल्ली : अप्पन अनुपम ऐतिहासिक संस्कृतिक लेल विख्यात बिहार(मिथिला) एहि बेर 64म गणतंत्र दिवसक अवसर पर आयोजित परेडमे 'सिक्की तृण' यानी घास सऽ बनल कलाकृति दर्शाबय वाला झांकी प्रस्तुत केलक.
बिहारक मिथिलामे आर्थिक रूपे कमजोर लोकक परिवारक जीवन यापनक लेल सिक्की कला एकटा पैघ साधन अछि. झांकीक प्रस्तुतिक बीच बाजि रहल मैथिली लोक गीत "पथिआ मउनिया रे जान..." तऽ उपस्थित लोकक चेहरा पर मुस्की आनि देलक।. इ गीत मिथिलामे बहुत लोकप्रिय लोकगीत 'जट-जटिन' सऽ प्रेरित छल.

गीतक बोल छल :
"घस काटै गेलियै रे पियबा
कटि लेलिये मुजबे रे जान
रे जान
ताहि जोहि जोहि बुनलौं पथिया मउनिया रे जान
रे जान
हम बैस घर मे पथिया बुनबै
तू बेचि अभिये हटिया रे जान
रे जान
इहैय अप्पन कला छै सभकेँ बुझभिहैय रे जान
रे जान पथिया बुनि बुनि कटबै अपन जिनिगिया रे जान
रे जान इहैय अप्पन कला छै एकरा बचभियहं रे जान
रे जान"

गीतक पूरा ऑडियो सुनी.

खूब सुन्नर रंगक सिक्की घास अप्पन लंबाई आ चमक केर कारण बहुत आकर्षक होइत अछि. इ बरसाइतक बाद मात्र एक बेर उगैत अछि आ ओहि समय एकरा काटि कऽ बरख भरि उपयोगक लेल संरक्षित कएल जाइत अछि. झांकी मे बहुरंगी सूखल सिक्की घास सऽ एकटा कलश बनाओल गेल छल आ कलात्मक ढंग सऽ बनल छिट्टा, मौनी , चिड़ै-चुनमन, जानवर, खिलौना आदि दर्शाओल गेल छल. झांकी के बीचमे महिला लोकनि विभिन्न उत्पाद केँ बनाबय आ सजाबय केँ काजमे लागल छली.

1 comment:

  1. Hate us oar Love us... You can't just avoid us..LOLZ.. We'r Maithil.

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