Tuesday, March 26, 2013

असममे मैथिली

मुजफ्फरपुर : कहल तऽ इ जाइत अछि जे आसामक बोली मूल रुपेँ पूरबी मैथिलीक एक श्रेणीमे अबैत अछि। बाजयबला आर्यभाषा सौँसे आसाम पहाड़ी, सौँसे उत्तरी बंगाल संग-संग वर्तमान बिहारक जिला पूर्णिया धरि पसरल छल।

आसामक साहित्यक प्रारम्भ मैथिलीक मध्यमे भेल छल। शंकरदेव ओ हुनक अनुयायी लोकनिक रचना सभ जे 'अंड़िगया नाटक' नामे प्रकाशित भेल अछि से क्वचित आसामी भाषा सँ विकृत प्राचीन मैथिली भाषा थीक। प्रसिद्ध इतिहासकारकेँ.ए.बरुआ 'अर्ली हिस्ट्री आफ कामरुप' मे कहने छथि जे कामरुपक बोली मूल रुपेण पूरबी मैथिलीक एक श्रेणी अथवा भेद अछि। इतिहास सेहो गवाही दैत अछि जे मिथिला आ आसाम प्रदेशक संबंध बहुत प्राचीन थिक। नरक नामक कामरुपक आदियुगक राजा मिथिलासँ गेल छलाह से अनेक साम्रगीसँ प्रमाणित अछि। आसामक गौरीपुर राज्यमे मिथिलाक एक बृहत् समुदाय आबि कऽ बसि गेल छलाह, तेकर उल्लेख सेहो भेटैछ। गौरीपुर राज्य जखन मैथिलक हाथ आयल तखन सँ अनेक काल धरि मिथिलाक गतायत आसाममे अत्यन्त बढ़ि गेल। आसाम आ मिथिलाक सीमा कौशिकी नदी पर मध्यगुण पर्यन्त छल, तँ इ कोनो आश्चर्यक गप्प नहि। शंकरदेवक मैथिली साहित्य आ शक्ति तंत्र-मंत्र आदिक प्रचार देश-द्वयमे देखि ई धारणा पुष्ट होइछ। असमी आ मैथिलीक शब्दावलीक साम्य सेहो एकर प्रमाण अछि।

असमिया / मैथिली
दि, दिया / दिअ, दिय
दिलाक / देलक
गेल / गेल
करि / करि
राख / राख
उठि / उठि


* एकर लेखक दीप नारायण मिश्र छथि जे गाम बाजितपुर, वैशाली केर रहनिहार छथिआ राजनीति विज्ञान विभाग, ललित नारायणमिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगाक पूर्वप्राचार्य आ अध्यक्ष रहल छथि।

3 comments:

  1. नीक जानकारी

    ReplyDelete
  2. bahut nik janakri , bhai ahina khoid - khoid ke lao aur bhandar ke bharu , bahut bahut dhanywad

    ReplyDelete