बात 500 करोड़क, कहिया पाइ एतै वा राहत, कोनो माय-बाप नहि. जौं एब्बो करतै त' कतेक लोक तक पहुंचतै जानि नहि. मानि लिए जे पूरा पाइ पहुंच गेलै (ओना हमर इ मानब गलत अछि, तैयौ) त' सभ कें 342 रूपया 46 पाइ भेटतै. अलग गप्प छै जे गाम मे रहनिहार जे 32 टका कमाई छैक से गरीब नहि. हंसी आबि रहल अछि त' हैंस लिए. 2008 क' कोसी बाढ़ि पीड़ित आइयो तंबू आ छतरी लगा जीबि रहल छथि किएक त' हुनक घर कोसी लील गेली. 2017 क' बाद आओर किछु तंबू लागि जेतै आओर की? मुदा जौं 70 बरख क' बादो बाढ़िक कोनो इलाज़ नहि छैक त' कतौ न कतौ खोट त' छै प्रधानसेवक जी. स्थाई निदान ताकय पड़त नहि त' इ बाढ़ि आ राहतक खेल चलैत रहत, सरकार जीतैत रहत आ जनता हारैत रहत. एतय गप्प सिर्फ मिथिला क्षेत्र, डूबल त' असम आ पूर्वांचल सेहो छैक.
क्षेत्रक जनता बड्ड बिसराह छैक. जनता के मोन रखबाक चाही जे जखन बिहार डूबि रहल छलै तखन लालू आ शरद यादव देस बचेबा मे लागल छलथि, सुशील मोदी सृजन करबा मे, नितीश कुमार सरकार बचेबा मे, नरेंद्र मोदी मन क' बात कहबा मे आ राहुल गांधी चौरचन क' शुभकामना देबा मे आ जनता डंफा बजेबा मे व्यस्त छल. इ गप्प के मोन रखबाक चाही. इहो गप्प के मोन रखबाक चाही कैक टा सांसद आ विधायक जी खोज-खबरि लेल एलथि. कखनो काल के त' एहन सन लगैत अछि जे बिहार मे नेता सभ सं पहिले जनता बदलबाक प्रयोजन छैक.
बढ़िया लिखा है, आशा करता हूँ जिम्मेदार लोग इसे पढ़ें और बाढ़ का स्थायी समाधान निकालें अन्यथा युवा तो आगे आएंगे ही,धीरे धीरे ही सही।
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