Wednesday, January 2, 2013

हम रही वा नहिँ रही मिथिला बढ़ि कऽ रहत

सुपौल : नव बरखक खुशी मनेलाक बाद सभ बरख जहिया 3 जनवरीक तिथि आबैत अछि तऽ झुक जाइत अछि मिथिलाक लोकक आंखि। इ दिन एहन शख्सियतक पुण्य तिथि अछि जे मिथिला आ बिहारक नव निर्माणक बीड़ा उठौनै छलैथ। स्व.ललित बाबूक मोन परि जाइत छथि। सुपौल जिलाक बसवानपट्टीक मिश्र परिवारमे हिनक जन्म 2 फरवरी 1922 (वसंत पंचमीक) दिन भेल छल। कोसीक कहरक कारणे मिश्र परिवारक पूर्वज बलुआ बाजारमे बसि गेला। होनहार विरवान के होत चिकने पात केँ चरितार्थ करैत ललित बाबू छात्र जीवनमे स्वतंत्रता आंदोलनमे भाग लऽ स्वतंत्र भारतक राजनीतिमे अपन अलग पहिचान बना कऽ संसदमे कोसी बाबूक, मिथिला पुत्र आदि नामे प्रसिद्ध रहला। अपन जबरदस्त लोकप्रियताक कारणेललित बाबू पंडित जवाहर लाल नेहरूक प्रियपात्र बनला आ श्रीमती इंदिरा गांधीक विश्वास पात्र। 1952 मे पहिलबेर दरभंगा-सहरसा संयुक्त लोकसभा सऽ सांसद चुनल गेला। एहि कार्यकालक बीच कोसीक कहर सऽ आक्रांत लोककेँ नव जीवन देबाक प्रथम प्रयास केलनि। जाहि कारणे कोसी योजना केँ स्वीकृति भेटल। एहि बीच कोसी परियोजनाक आधारशिला रखबाक वास्ते एहि धरती पर पंडित नेहरू आ नेपालक महाराजाधिराज महेन्द्र केँ बजेबाक श्रेय स्व. ललित बाबू केँ जाइत अछि। 1973 मे रेलमंत्री पद पर आसीन ललित बाबू केँ अपने बाबूजीक वचन ' के बेटा होयत जे कोसी में रेल चलाऔत ? ' केँ चरितार्थ करैत भपटियाही-फारबिसगंज, झंझारपुर-लौकहा-लौकही­ रेल लाइनक पुनर्निर्माण कऽ रेल चलौलथि आ छत्तीस टा नव रेल लाइनक योजना बनौलथि जाहिकेँ अंर्तगत आब कोसी रेल महासेतु पर ट्रेन चलबाक प्रतीक्षा अछि। ललित बाबू 1938 मे छात्र कांग्रेस सऽ लऽ कऽ 1972 धरिक राजनीतिक यात्रामे हिनक व्यक्तित्व ऐतक प्रखर भेल जे लोक हिनका भावी प्रधानमंत्रीक रूपे देखय लगला। एहि राजनीतिक यात्राक बीच बहुतो पद जेना सचिव, उपमंत्री, राज्य मंत्री आ मंत्री पद केँ सुशोभित करैत इ नहिँ मात्रे टा मिथिला केँ कोसीक कहर सऽ बचाबय केँ ऐतिहासिक काज केलनि अपितु शिक्षा प्रेमीक हैसियत सऽ मिथिला विश्वविद्यालयक स्थापना, दरभंगा आ कोसी प्रमंडल, कोसी बराज, पूर्वी आ पश्चिमी नहर योजना, कटैया जल विद्युत गृह, पूर्णिया आ दरभंगामे वायु सैनिक हवाई अड्डा, अशोक पेपर मिल, मिथिला चित्रकला, रेल कारखानक राष्ट्रीयकरण, कोसीक बाढ़ि सऽ ध्वस्त रेलखंड पर पुन: परिचालन करा कऽ मिथिला क्षेत्र केँ अंतरराष्ट्रीय पहचान दियौलथि। मिथिलावासी आइयो पछुआएल मिथिला आ बिहारक विकासक राष्ट्रीय मुख्य धाराक समकक्ष अनबाक लेल कटिबद्ध ललित बाबू सन समर्पित नेता केँ अखनो नहिँ बिसरि पाबि रहल छथि । हुनक अंतिम वाणी ' मैं रहूं या न रहूं मिथिला/बिहार बढ़कर रहेगा' लोककेँ ओनाहि मोन रहत। मिथिला, बिहार आ भारतक निरंतरसेवामे लागल ललित बाबूक मानवीय, राजनीतिक, सामाजिकआ चारित्रिक गुणक यादमे सुपौलक बलुआ बाजार स्थित हुनक समाधि स्थल पर 3 जनवरी केँ बलिदान दिवसक रूपे मनाओल जाइत अछ आ हुनक अपूर्ण सपन केँ साकार करबाक वचन लऽ श्रद्धा सुमन अर्पित कएल जाइत अछि।

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