स्थानीय निर्वाचनमे अहां अप्पन मताधिकारक प्रयोग क' स्थानीय सरकार बनेबामे सहभागी भ' सकैत छी. दू दशकके बाद नेपाली नागरिक कें स्थानीय तहमे जनप्रतिनिधि चुनबाक अवसर आएल अछि. संविधानमे स्थानीय तहमे बहुत रास अधिकारसभके व्यवस्था कएल गेल अछि. एहिसं स्थानीय तहमे रहनिहार जनता अपन घर आंगनमे सिंह दरबार पहुंचल महसुस करत.
निर्वाचन आयोगके अनुसार 744 स्थानीय तहमे दू चरणमे चुनाव होएत. निर्वाचन आयोग बैशाख 31 गते रविदिन देशभरि एक्कहि चरणमे 744 स्थानीय तहमे निर्वाचन करबाक तयारी कएने छल मुदा बादमे बैशाख 31 गते रविदिन पहिल चरणमे आ 2074 जेठ 31 गते बुधदिन दोसर चरणमे निर्वाचन होएत. पहिल चरणके लेल प्रदेश 3,4 आ 6 आ दोसर चरणमे प्रदेश 1,2,5 आ 7 अन्तर्गतके जिलामे निर्वाचन होएत.
निर्वाचन दू चरणमे भलेहि होइ मतदाता नामावली, मतपत्र आ मतदाता परिचय जे छपा गेल अछि वएह प्रयोग होएत से निर्वाचन आयोग जनौलक अछि. तहिना नव मतदाता नामावली सङ्कलन सेहो नहि होएत.
मतदाताक संख्याके आधारके विश्लेषण क' देशभरि 10 हजार 640 मतदान स्थल आ 18 हजार 572 केन्द्र रहत. पहिल चरणके लेल 4 हजार 60 स्थल आ 7 हजार 311 मतदान केन्द्रमे निर्वाचन होएत.
जे काजसभ सिंहदरबारसं होइत आएल छल ओ काजसभ आब स्थानीय इकायसं होएत. गाउँ पालिका आ नगरपालिकाके रुपमो स्थानीय तहके इकाइसभके बांटल गेल अछि. गाउँपालिका आ नगरपालिकामे स्थानीय सरकार बनेबाकेलेल हरेक मतदाताके कर्तव्य अछि जे ओ वृहत जनहितके ध्यानमे रखैत अपन मताधिकार प्रयोग करए.
जँ जनता सही जनप्रतिनिधि नहि चुनि सकत त फेरो स्थानीय तह अधिकार सम्पन्न हेबाक कोनो अर्थ नहि. कियाक त एहिसं पहिने सेहो स्थानीय निकायमे बहुत अधिकार छल मुदा जनप्रतिनिधिविहीन संरचनाके कारण बजेटके सदुपयोग नहि भ’ सकल आ जनताके समस्या जहिनाके तहिना रहल. दलीय भागबण्डामे दू दशकसं स्थानीय निकाय दम तोडि रहल अछि. विकासके नामपर कर्मचारीतन्त्र आ दलीय प्रतिनिधिके सिण्डिकेट कायम भेल अछि. एहन विकृतिके रोकबालेल सेहो स्थानीय तहके चुनाव भेनाइ आवश्यक अछि.
देशके राजनीतिक उचारचढाव आ मधेशमे असन्तुष्टिके कारण चुनाव होएत कि नहि ताहिमे बहुतो आशंका व्यक्त कएल जा रहल अछि. प्रधानन्यायाधिश सुशीला कार्कीपर महाभियोग प्रस्ताव लगौनाइ, गृहमन्त्रीके पदसँ बिमलेन्द्र निधि कें राजीनामा आ संविधान संशोधनके विषयमे अनिश्चिततासँ चुनावक भविष्य मझधारमे पडल नैया जकाँ भ’ गेल अछि.
मधेश केन्द्रित राजनीतिक दल जँ चुनावमे नहि भाग लेत त तराई मधेशके जिल्लामे चुनाव करौनाइ चुनौतीपूर्ण रहल चुनाव आयोग कहैत आएल अछि. सरकार मधेशमे चुनावक माहौल बनेबालेल आ मधेशी राजनीतिक शक्तिके समेटबालेल संविधान संशोधन विधेयक सेहो दर्ता करौने अछि मुदा आवश्यक संख्या पहुंचायब मुश्किल अछि. विपक्षी एमाले कोनो हालतमे विधेयक पारित नहि करेबाक अडान लेने अछि जँ संशोधन विधेयक पारित नहि होएत त चुनावमे नहि जायब से अडानपर मोर्चा कायमे रहत त तराई मधेशके जिल्लामे चुनाव असम्भव प्रायः अछि.
राजनीतिक सहमतिक’ देशभरिमे चुनाव हेबाक चाही. तराई मधेशके जिल्लाके जँ मात्र अलग थलग क’ चुनावी रथ आगू बढल त देशके दीर्घकालीन हितमे नहि होएत. मूलधारके राजनीति कमजोर होएत आ न्यायप्रेमी जनता शासन व्यवस्थासँ अपनाके अपहेलित महसुस करत. मधेश चुनाव नहि चाहैत अछि से बात नहि, मुदा मधेशके चुनावविरोधीके रुपमे चित्रण करबाक काज सेहो भ’ रहल अछि. मधेशमे अपन राजनीतिक भविष्य नहि देखनिहार दलके अपन दृष्टि साफ करबाक चाही. जनता देशके मूलप्रवाहमे आगू बढ’ चाहैत अछि एकरा अनदेखी नहि कएल जाए.
स्थानीय तहके चुनाव नहि क’ संसदीय चुनाव करबाक तानाबाना सेहो बुनल जा रहल खबर चर्चामे अछि. एहिसं नेतासभ त अधिकार सम्पन्न होएत मुदा जनताके हाथमे शुण्य लागत. संसदीय चुनाव सेहो आवश्यक अछि मुदा स्थानीय तहके चुनाव जँ भ’ गेल त स्थानीय तहमे विकास निर्माणके काजके गति भेटत. भूकम्पप्रभावित जिल्लामे स्थानीय जनप्रतिनिधि भेलासँ प्रभावितस्थानमे पुननिर्माणमे सहयोग होएत.
नोट : इ आलेख गोरखापत्र सं लेल गेल अछि.
निर्वाचन आयोगके अनुसार 744 स्थानीय तहमे दू चरणमे चुनाव होएत. निर्वाचन आयोग बैशाख 31 गते रविदिन देशभरि एक्कहि चरणमे 744 स्थानीय तहमे निर्वाचन करबाक तयारी कएने छल मुदा बादमे बैशाख 31 गते रविदिन पहिल चरणमे आ 2074 जेठ 31 गते बुधदिन दोसर चरणमे निर्वाचन होएत. पहिल चरणके लेल प्रदेश 3,4 आ 6 आ दोसर चरणमे प्रदेश 1,2,5 आ 7 अन्तर्गतके जिलामे निर्वाचन होएत.

मतदाताक संख्याके आधारके विश्लेषण क' देशभरि 10 हजार 640 मतदान स्थल आ 18 हजार 572 केन्द्र रहत. पहिल चरणके लेल 4 हजार 60 स्थल आ 7 हजार 311 मतदान केन्द्रमे निर्वाचन होएत.
जे काजसभ सिंहदरबारसं होइत आएल छल ओ काजसभ आब स्थानीय इकायसं होएत. गाउँ पालिका आ नगरपालिकाके रुपमो स्थानीय तहके इकाइसभके बांटल गेल अछि. गाउँपालिका आ नगरपालिकामे स्थानीय सरकार बनेबाकेलेल हरेक मतदाताके कर्तव्य अछि जे ओ वृहत जनहितके ध्यानमे रखैत अपन मताधिकार प्रयोग करए.
जँ जनता सही जनप्रतिनिधि नहि चुनि सकत त फेरो स्थानीय तह अधिकार सम्पन्न हेबाक कोनो अर्थ नहि. कियाक त एहिसं पहिने सेहो स्थानीय निकायमे बहुत अधिकार छल मुदा जनप्रतिनिधिविहीन संरचनाके कारण बजेटके सदुपयोग नहि भ’ सकल आ जनताके समस्या जहिनाके तहिना रहल. दलीय भागबण्डामे दू दशकसं स्थानीय निकाय दम तोडि रहल अछि. विकासके नामपर कर्मचारीतन्त्र आ दलीय प्रतिनिधिके सिण्डिकेट कायम भेल अछि. एहन विकृतिके रोकबालेल सेहो स्थानीय तहके चुनाव भेनाइ आवश्यक अछि.
देशके राजनीतिक उचारचढाव आ मधेशमे असन्तुष्टिके कारण चुनाव होएत कि नहि ताहिमे बहुतो आशंका व्यक्त कएल जा रहल अछि. प्रधानन्यायाधिश सुशीला कार्कीपर महाभियोग प्रस्ताव लगौनाइ, गृहमन्त्रीके पदसँ बिमलेन्द्र निधि कें राजीनामा आ संविधान संशोधनके विषयमे अनिश्चिततासँ चुनावक भविष्य मझधारमे पडल नैया जकाँ भ’ गेल अछि.
मधेश केन्द्रित राजनीतिक दल जँ चुनावमे नहि भाग लेत त तराई मधेशके जिल्लामे चुनाव करौनाइ चुनौतीपूर्ण रहल चुनाव आयोग कहैत आएल अछि. सरकार मधेशमे चुनावक माहौल बनेबालेल आ मधेशी राजनीतिक शक्तिके समेटबालेल संविधान संशोधन विधेयक सेहो दर्ता करौने अछि मुदा आवश्यक संख्या पहुंचायब मुश्किल अछि. विपक्षी एमाले कोनो हालतमे विधेयक पारित नहि करेबाक अडान लेने अछि जँ संशोधन विधेयक पारित नहि होएत त चुनावमे नहि जायब से अडानपर मोर्चा कायमे रहत त तराई मधेशके जिल्लामे चुनाव असम्भव प्रायः अछि.
राजनीतिक सहमतिक’ देशभरिमे चुनाव हेबाक चाही. तराई मधेशके जिल्लाके जँ मात्र अलग थलग क’ चुनावी रथ आगू बढल त देशके दीर्घकालीन हितमे नहि होएत. मूलधारके राजनीति कमजोर होएत आ न्यायप्रेमी जनता शासन व्यवस्थासँ अपनाके अपहेलित महसुस करत. मधेश चुनाव नहि चाहैत अछि से बात नहि, मुदा मधेशके चुनावविरोधीके रुपमे चित्रण करबाक काज सेहो भ’ रहल अछि. मधेशमे अपन राजनीतिक भविष्य नहि देखनिहार दलके अपन दृष्टि साफ करबाक चाही. जनता देशके मूलप्रवाहमे आगू बढ’ चाहैत अछि एकरा अनदेखी नहि कएल जाए.
स्थानीय तहके चुनाव नहि क’ संसदीय चुनाव करबाक तानाबाना सेहो बुनल जा रहल खबर चर्चामे अछि. एहिसं नेतासभ त अधिकार सम्पन्न होएत मुदा जनताके हाथमे शुण्य लागत. संसदीय चुनाव सेहो आवश्यक अछि मुदा स्थानीय तहके चुनाव जँ भ’ गेल त स्थानीय तहमे विकास निर्माणके काजके गति भेटत. भूकम्पप्रभावित जिल्लामे स्थानीय जनप्रतिनिधि भेलासँ प्रभावितस्थानमे पुननिर्माणमे सहयोग होएत.
नोट : इ आलेख गोरखापत्र सं लेल गेल अछि.
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