सभसं पहिले इ कविता के इंग्लिश में पढ़ने छलौं, ओकरा बाद हिंदी मे पढ़लौं. अओर पियरगर लागल. आब अहां सभ लेल मैथिली मे सेहो.
जौं फूटि के नहि निकलय
बिना कोनो कारणे
नहि लिखू
जौं बिन पूछने-बतेने नहि बरसय
अहांक मोन आ माथ
आ जबान आ पेट सं
नहि लिखू
जौं घंटों बैसय पड़य
अप्पन कम्प्यूटर के तकैत
या टाइपराइटर पर बोझ बनल होए
तकैत करमजरुआ शब्द कें
नहि लिखू
जौं पाइक लेल
या नामक लेल लिखि रहल छी
नहि लिखू
जौं लिखि रहल छी
जे इ बाट छैक
कोनो स्त्री केन बिछौन धरि अनबाक
नहि लिखू
जौं बैस क' अहांकें
बेर-बेर करय पड़ैत अछि सुधार
जाए दियौ
जौं लिखबाक सोचिये
होइत अछि तनाव
छोड़ि दियौ
जौं ककरो आन सन
लिखबाक फ़िराक़ में छी
त' बिसरि जाउ
जौं समय लगैत अछि
भीतर सं चिचएबा मे
त' ओकरा कनिक समय दियौ
जौं तयौ नहि भ' रहल होइ
त' समान बान्हि लिए
जौं पहिले पढ़ि के सुनाबय पड़ैत अछि
अप्पन कनिया या प्रेमिका या प्रेमी
या मां-बाप या अनचिन्हार आलोचक कें
त' अखन कांच छी अहां
अनगिनत लेखक सन नहि
ओहि हज़ार जेंका
जे कहैत छथि अपना कें लेखक
सुस्त, ढीठ आ मुंहजोड़
स्व-मैथुन क' मारल
दुनिया भरिक पुस्तकालय
त्रस्त भ' गेल अछि
अहां सभ सन सं
नहि बढ़ाऊ एकरा
आग्रह अछि, नहि बढ़ाऊ
जावत धरि अहांक आत्माक माटि सं
पैघ दूरीक मारक रॉकेट जेंका
नहि निकलैत लफ़्ज़,
तावत धरि चुप रहू
अहांकें पूर्णिमाक चानक भेड़ियां जेंका
नहि क' देत पागल या हत्यारा
जखन धरि अहांक नाभि क' सुरुज
अहांक घर मे आगि नहि लगा देत
नहि नहि नहि लिखू
किएक त' जखन समय आएत
आ भेटल होएत अहांकें ओ वरदान
अहां लिखब आ लिखैत रहब
जावत धरि भस्म नहि भ' जाएत
अहां या इ हवस
कोनो आओर तरीका नहि अछि
आ ने कोनो तरीका छल कहियो
बिना कोनो कारणे
नहि लिखू
जौं बिन पूछने-बतेने नहि बरसय
अहांक मोन आ माथ
आ जबान आ पेट सं
नहि लिखू
जौं घंटों बैसय पड़य
अप्पन कम्प्यूटर के तकैत
या टाइपराइटर पर बोझ बनल होए
तकैत करमजरुआ शब्द कें
नहि लिखू
जौं पाइक लेल
या नामक लेल लिखि रहल छी
नहि लिखू
जौं लिखि रहल छी
जे इ बाट छैक
कोनो स्त्री केन बिछौन धरि अनबाक
नहि लिखू
जौं बैस क' अहांकें
बेर-बेर करय पड़ैत अछि सुधार
जाए दियौ
जौं लिखबाक सोचिये
होइत अछि तनाव
छोड़ि दियौ
जौं ककरो आन सन
लिखबाक फ़िराक़ में छी
त' बिसरि जाउ
जौं समय लगैत अछि
भीतर सं चिचएबा मे
त' ओकरा कनिक समय दियौ
जौं तयौ नहि भ' रहल होइ
त' समान बान्हि लिए
जौं पहिले पढ़ि के सुनाबय पड़ैत अछि
अप्पन कनिया या प्रेमिका या प्रेमी
या मां-बाप या अनचिन्हार आलोचक कें
त' अखन कांच छी अहां
अनगिनत लेखक सन नहि
ओहि हज़ार जेंका
जे कहैत छथि अपना कें लेखक
सुस्त, ढीठ आ मुंहजोड़
स्व-मैथुन क' मारल
दुनिया भरिक पुस्तकालय
त्रस्त भ' गेल अछि
अहां सभ सन सं
नहि बढ़ाऊ एकरा
आग्रह अछि, नहि बढ़ाऊ
जावत धरि अहांक आत्माक माटि सं
पैघ दूरीक मारक रॉकेट जेंका
नहि निकलैत लफ़्ज़,
तावत धरि चुप रहू
अहांकें पूर्णिमाक चानक भेड़ियां जेंका
नहि क' देत पागल या हत्यारा
जखन धरि अहांक नाभि क' सुरुज
अहांक घर मे आगि नहि लगा देत
नहि नहि नहि लिखू
किएक त' जखन समय आएत
आ भेटल होएत अहांकें ओ वरदान
अहां लिखब आ लिखैत रहब
जावत धरि भस्म नहि भ' जाएत
अहां या इ हवस
कोनो आओर तरीका नहि अछि
आ ने कोनो तरीका छल कहियो
मूल चार्ल्स बुकोव्स्की लिखने छथि, अनुवाद आदित्य द्वारा.
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