डेस्क : ओना त' जीवन मे उत्साह बढ़ेबाक लेल उत्सव क' आयोजन होइत अछि मुदा फगुआ आन पावनि सं कनिक फाजिले उत्साह क' संचार करैत अछि. इ मात्रे टा एहन पावनि अछि जाहि मे नहिये टा वर्गक विभेद मिटैत अछि संगे उमेरक दायरा सेहो सिमटा जाइत अछि. एहि पावनिक सभसं महत्वपूर्ण कड़ी गायन अछि. मिथिला मे एकर बड्ड पुरान परंपरा रहल अछि. एकर महत्व के ऐना बुझल जा सकैत अछि जे वसंत पंचमी क' दिन सं फाग गायब शुरू भ' जाइत अछि. मां सरस्वती कें अबीर अर्पित क' अबीर उड़य लगैत अछि.

आधुनिकताक बयार आ रोजगारक अवसर नहि रहबाक कारणे सून पड़ल गाम मे आब डंफा क' थाप स्वर मद्धम पड़ैत जा रहल अछि. साल-दर-साल इ सांस्कृतिक परंपरा कमजोर भेल जा रहल अछि. अखनो एहन बहुतो गाम छै जे एहि महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कड़ी के बचा क' रखने अछि मुदा भविष्यक कड़ी टूटैत नजर अबैत अछि. नव पीढ़ी फाग गेबाक परंपरा सं दूर होइत जा रहल अछि. फिल्मी गीत आ फगुआ एलबम क' गीत पर हिनक उत्साह झलकैत अछि. संस्कृति प्रेमी लेल इ चिंताक विषय अछि.
लगभग एक मास धरि चलय वला फगुआ गीत ग्रामीणक टोली गामक पहिले सं निर्धारित दलान पर सभ सांझ मे जुटैत अछि. घर सं भोजन क' आबि लोक सब देर रात धरि फगुआ गीतक आनंद लैत रहैत छथि. एक मास धरि चलैत रहय वला एहि परंपराक समापन फगुआ दिन गीतक संग होइत छल. एहि अवधि मे नहिये टा नव पीढ़ी के गीतक अभ्यास करायल जाइत छल, हुनका डंफा बजेबाक कला सेहो सिखायल जाइत छल. एहि सं परंपरा एक पीढ़ी सं दोसर पीढ़ी धरि सहजे चलि जाइत छल मुदा जहिया सं इ कड़ी कमजोर भेल अछि, युवाक टोली सेहो एहि सं दूर होइत गेल. स्तरीय आ जीवनक सभ रंग के सहेजनाहर फगुआ गीतक बोल आब कम्मे सुनाई दैत अछि.
अखन सुनु इ फाग सुनील मल्लिक के आवाज मे.

आधुनिकताक बयार आ रोजगारक अवसर नहि रहबाक कारणे सून पड़ल गाम मे आब डंफा क' थाप स्वर मद्धम पड़ैत जा रहल अछि. साल-दर-साल इ सांस्कृतिक परंपरा कमजोर भेल जा रहल अछि. अखनो एहन बहुतो गाम छै जे एहि महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कड़ी के बचा क' रखने अछि मुदा भविष्यक कड़ी टूटैत नजर अबैत अछि. नव पीढ़ी फाग गेबाक परंपरा सं दूर होइत जा रहल अछि. फिल्मी गीत आ फगुआ एलबम क' गीत पर हिनक उत्साह झलकैत अछि. संस्कृति प्रेमी लेल इ चिंताक विषय अछि.
लगभग एक मास धरि चलय वला फगुआ गीत ग्रामीणक टोली गामक पहिले सं निर्धारित दलान पर सभ सांझ मे जुटैत अछि. घर सं भोजन क' आबि लोक सब देर रात धरि फगुआ गीतक आनंद लैत रहैत छथि. एक मास धरि चलैत रहय वला एहि परंपराक समापन फगुआ दिन गीतक संग होइत छल. एहि अवधि मे नहिये टा नव पीढ़ी के गीतक अभ्यास करायल जाइत छल, हुनका डंफा बजेबाक कला सेहो सिखायल जाइत छल. एहि सं परंपरा एक पीढ़ी सं दोसर पीढ़ी धरि सहजे चलि जाइत छल मुदा जहिया सं इ कड़ी कमजोर भेल अछि, युवाक टोली सेहो एहि सं दूर होइत गेल. स्तरीय आ जीवनक सभ रंग के सहेजनाहर फगुआ गीतक बोल आब कम्मे सुनाई दैत अछि.
अखन सुनु इ फाग सुनील मल्लिक के आवाज मे.
नीक लीखल अछि।
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ReplyDeletekripya ehan prakar ke paramparik holi lok geet sb adhik se adhik upload karu. bha sake ta ohi geet sb ke lyrics bhi upload karu
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