लखीसरायक बनल सिंदूर मिथिलाक संगे नेपाल आ बंगाल धरि जाइत अछि। रंगक पावनि होलीसँ किछु मास पहिले लखीसरायमे सिंदूरक संग-संग अबीरक निर्माणमे सेहो होइत अछि। रंग निर्माणक लेल कच्चा माल मुंबई, पुणे, दिल्ली, जबलपुर आ अलवरसँ मंगाओल जाइत अछि।
1980 केँ लगभगिमे रंग व्यवसायक जोर पकड़बासँ लखीसरायमे ड्रोलियाक संग बहुतो फैक्ट्री खुलि गेल मुदा एहि फैक्ट्रीमे बिजलीक कमी, खराब सड़क आ खराब कानून व्यवस्था अप्पन असरि देखेलेक आ एहिमे सऽ आधासँ बेसी पर दू दशक पहिले ताला लटकि गेल।
अखन वाणिज्य कर विभाग द्वारा निबंधित मात्र 6 गोट फैक्ट्री अछि जाहिमे सिन्दूरक निर्माण होइत अछि।
होलीक तीन मास पहिले लखीसरायक फैक्ट्री सभ अबीर आ रंग बनाबयमे लागि जाइत अछि। सिन्दूर वाणिज्य करसँ मुक्त अछि जखन की अबीर पर 5% बिक्री कर लगैत अछि, ओतय रंग पर 13% वाणिज्यकर लगैत अछि मुदा रंगक रोजगारीसँ सरकारी खजानामे एक्को पाइ नहि पहुंचैत अछि।
बरख 1937 सऽ व्यवसायसँ जुड़ल शहरक रजिस्टर्ड कारखानोमे कहबा लेल रंगक निर्माण नहि होइत हो मुदा होलीक समयमे चोरा-नुका रंगक निर्माण होइत अछि। पैघ शहरसँ मंगाओल गेल रंगमे पाउडर आ आन केमिकल मिला रंग केँ पैकिंग करनिहारक एतय कमी नहि अछि। एहन-एहन व्यवसायी दुर्गा पूजासँ होली धरि लगभगि 5 करोड़ रूपयाक व्यवसाय कऽ लैत छथि।
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