Thursday, August 2, 2018

संपादकीय: अप्पन धिया-पुता कें आधुनिक शिक्षा देब मुदा दोसरा कें मैथिली-मैथिली चिचिया उकसाएब?

नेपाल प्रदेश 2 के मैथिली विद्वान सभक नाम एकटा चिट्टी

श्रीमान महान मैथिल विद्वानगण!

अहां सभमे सं कियौ बताएब जे अहां सभ हमरा सभ सन आम आदमी कें कोन रंगक मैथिली सिखायब? 600 बरख पहिलुका संभ्रांत बिद्यापति ठाकुर कालीन तिरहुतिया/पुरोहितिया मैथिली अहां सभ सिखाएब की दरभंगा राज बला राजकीय मैथिली सिखाएब? आखिर मैथिली क' परिभाषा की अछि अहांक नजरि मे? आओर मैथिली क' टेक्स्ट बुक सभ दरभंगा प्रकाशन सं छपाएब? गणित, विज्ञान सभटा मैथिलीए मे पढ़ेबे की? ओना हम बुझि रहल छी जे कथित मैथिल विद्वान बनि अहां सभ अप्पन रोजी-रोटी चमकाबय मे कोन तरहें लागल छी.

अहां के बता दी जे हम साधारण स्थानीय ठेठी बोली बुझैत छी जेकरा अहां सभ अशुद्ध बुझैत छी आ अपवित्र सेहो बुझैत होएब, एहि लेल मैथिली-मैथिली चिचिया के अहां स्थानीय भाषा क' अनादर आ ओकरा सम्पन्न करबा मे लागल छी. खैर, अहां सभ कें राजा-महाराजा राज क' राजकीय भाषा मुबारक. एतहि पहाड़ क' लोक 1950क' संधि अनुसार भारतीय सरकारी सेवा क' लाभ सेहो उठा रहल छथि मुदा प्रदेश 2 क' दू जिल्ला क' पुरबिहा संभ्रांत लोक कें बस क्षणिक तुष्टि मे मजा आबि रहल छन.

अहां सभकें सामान्य जनताक जन-जीविका सं सरोकार रखनिहार भविष्य क' मादे सोचबा सं पाप लागत. अहां सब सिर्फ अपनहि अगिलका लोक सभ के आगू बढ़ाबैत रही, यैह त' अहां सभ चाहैत छी. सरकारी सेवाक मे पद त' होएत मुदा ओ मात्रे टा स्पेशल लोक सभ लेल आरक्षित रहत किएक त' पारिवारिक भाषा मे कामकाजी भाषा होई त' आओर की चाही?

देखा रहल अछि जे भारत क' मिथिला राज बला सभ ओम्हर फेल भ' गेलथि त' एम्हर आगि लगा रहल छथि. अपने भारत के धर्म निरपेक्ष रखता आओर नेपाल के कट्टर हिंदू देश बनौताह. कखन धरि हम सभ हुनक झांसा मे आबैत रहब? कहिया वर्तमान मे जीएब शुरू करब?

जौं नेपाल क' शासक सभ मध्यकालीन समय क' भानुभक्त कालीन या मोतीराम भट्ट कालीन खस-भाषा के लागू केने रहितथि त' आई हम सभ कोन तरहक खस भाषा स्कूल मे पढ़ि रहल होइतहुं अहां अंदाजा लगा सकैत छी. की अहुं सभ मैथिली कहि वैह मध्यकालीन कें दोहरायब?

अहां सभ जाहि तरहें मैथिली बोली आ लिखावट क' ओकालत क' रहल छी ओ यथार्थ धरातल सं दूर अछि, लेख्य भाषा आ कथ्य भाषा मे कोनो तारतम्य नहि छैक तैयो अहां सभ अप्पन महाकवि बिद्यापति आओर ललका पाग कें पूरा मध्य-मधेश मे लादय चाहैत छी. अप्पन घर क' धिया-पुता कें आधुनिक शिक्षा इंग्लिश, नेपाली, हिंदी मे पढ़ाएब मुदा दोसरा कें मैथिली-मैथिली चिचिया उकसाएब?

“ओना ब्यक्तिगत रुपस कैह दी जे हमरा अपन गाम घर में बोलइवाला हमर मातृभाषा-बोली के हम बिरोधी नै छिए मुदा बात रैह गेलै बर्तमानमे कामकाजी भाषाके रूपमे एकर उपयोगिता आ सांदर्भिकता के बारे मे. आई-काइल्ह जई तरिका स मैथिली कैहके जोन बोली आ लेखावट के बिकास करके प्रयास हो’रहल है से भाषा बिज्ञान के हिसाब से सेहो बहुते त्रुटिपूर्ण छै.”

एकटा बात मोन राखू, मधेश आंदोलन मात्रे प्रदेश 2 कें मिथिला राज बनेबाक लेल नहि भेल छल, पूरा मधेश कें “एक मधेश-एक प्रदेश” क' नारा द' उपेंद्र यादव जी राजनीति क' शिखर पर पहुंचल छलथि. आब ओ दोसर बाट ध' लेलथि त' की जनता के सेहो हुनका पाछू चलि जेबाक चाही?

हम सभ मधेसी टूटि क' नहि जुड़ि क' राजसत्ता सं संघर्ष करब तखनहि सफल भ' सकब. बस खंड-खंड मे बांटि एकल भाषा आओर एकल जातीय आधार पर राजनीति करब त' अहां केंद्रीय सत्ता के खुश करबाक काज करब, हुनकर काज आसान करब. ओ त' यैह चाहैत छथि.

ई जे हमर हिंदी प्रस्फुटन अछि, कोनो औपचारिक अध्यन बिना अछि, जौं औपचारिक अध्यन हिन्दी मे होएत त' शायद नीक प्रयास होएत. आजुक समयमे हिंदी क' उपयोगिता जेना तरकारी मे मस्सलाक होइत अछि तेनाही हमर दैनिक बोली-व्यवहार मे अछि, एकरा स्वीकार करबा मे हिचकिचेबाक कोनो जरुरत नहि. सभ मित्र सं निवेदन अछि जे हम सभी क्षणिक स्वार्थ त्यागि, विविधता मे एकता युक्त मधेश क' मादे संकल्प करी. पूब-पश्चिम मधेश के एक करबाक सोची.

ई लेख हिमालिनी डॉट कॉम लेल बिनोद पासवान लिखने छथि. एतहि अहां ओहि लेख क' मैथिली अनुवाद पढ़ि रहल छलौं.

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